माँ शारदे कहाँ तू बीणा बजा रही है
किस मंजु ज्ञान से तू जग को रिझा रही है
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है
बिनती हमारी माँ तू क्यों न सुन रही है
हम दीन बाल कब से बिनती सुना रहें हैं
चरणों में तेरे माता हम सर झुक रहे हैं
अज्ञान तू हमारा माँ शीघ्र दूर कर दे
दे ज्ञान सुभ्र हममे माँ शारदे तू भरदे
बालक सभी जगत के सूत मात है तिहारे
प्राणो से प्रिये तुझे है हम पुत्र सब दुलारे
हमको दयामयी तू ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत का हमको माँ ज्ञान का पिलाओ
मातेश्वरी तू सुन ले सुन ले विनय हमारी
कर के दया तू हर ले बाधा जगत की सारी
माँ शारदे कहाँ तू बीणा बजा रही हो
किस मंजु ज्ञान से तू जग को रिझा रही हो
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